टी बी(Tuberculosis) बीमारी के लक्षण और रोकने के उपाय

टी बी(Tuberculosis) के कारण –

एलोपैथिक डॉक्टरों के अनुसार तपेदिक एक विशेष प्रकार के रोगाणुओं की देन है। अत्यधिक मैथुन, अत्यधिक श्रम करने और अंधकारयुक्त  धुएं जैसे वातावरण में लम्बे समय तक काम करते रहने अथवा भोजन की अनियमितता और अपौष्टिकता के कारण यह रोग हो जाता है।

टी बी(Tuberculosis) के लक्षण –

इसे एक भयंकर संक्रामक रोग माना जाता है। इसके रोगी को सामान्य लोगों से अलग रखा जाता है। इस रोग की तीन अवस्थाएं होती हैं-

 प्रथम अवस्था –

  • ज्वर होता है।
  • हथेलियों और तलुओं में जलन होती है।
  • पसलियों में दर्द होता है।
  • कंधे टूटते से मालूम होते हैं।
  • खांसी आने लगती है।

दूसरी अवस्था –

  • ज्वर निरंतर रहता है।
  • खांसी लगातार आती है।
  • सांस फूलती है।
  • आवाज बैठ जाती है।
  • कफ़ के थूक के साथ-साथ खून आता है।

तीसरी अवस्था –

  • तेज बुखार
  • तेज खांसी
  • दस्त रोकने के उपाय
  • खून का कफ में ज्यादा जाना
  • अपच
  • पैरों में सूजन
  • भोजन का अच्छा न लगना
  • शरीर कमजोर होते जाना और सूखना
  • आंखों का गढ़े में धंसना इत्यादि लक्षण दिखाई देते हैं।

टी बी(Tuberculosis) की बीमारी का उपचार –

  • 250 ग्राम गाय का दूध में 250 ग्राम पानी मिलाएं।  अब इसमें 50 ग्राम मिश्री और 10 ग्राम पिप्पली डालकर तब तक उबालें, जब तक कि यह आधी मात्रा में न रह जाए। फिर इसमें 15 ग्राम गाय का शुद्ध घी और 30 ग्राम शुद्ध शहद मिलाकर इतना फेंटें कि दूध में झाग तैयार हो जाएं। इसे घूंट-घूंट सेवन करें।
  • दमे के रोग में बताई गई उपचार विधि अपनाएं। यह भी इस रोग में अत्यंत लाभकारी है।
  • जंगल में चरने वाली पहाड़ी बकरी के एक गिलास दूध में 2 चम्मच मोठे चूने का पानी मिलाकर सेवन करें |

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