काले एवं सफेद तिल के तेल के फायदे (Sesame oil benefits in Hindi)

तिल (SESAME)

लेटिन नाम – सिसेमम इन्डिकम (Sesamum indicum)

तिल को लड्डु, गजक आदि के रूप में खाने से सभी लोग जानते हैं।

तेल कितने प्रकार के होते है ?

तिल तीन प्रकार के पाये जाते हैं—

(1) काले तिल

(2) सफेद तिल

(3) लाल तिल

गुणवत्ता की दृष्टि से काले तिल सर्वाधिक अच्छे होते हैं। इसके बाद दूसरे नम्बर पर सफेद तिल आते है। लाल तिल सामान्य होते हैं और इनका चलन बहुत कम है। तिल के तेल की मालिश करने से शरीर बलिष्ठ होता है। तिल का तेल-जैतून के तेल का उत्तम प्रतिनिधि है।  जैतून के तेल के स्थान पर तिल का तेल काम ले सकते हैं।

तिल के तेल से रोगों का उपचार :-

मुँहासे – 

चेहरे पर मलने लायक मात्रा में तिल का तेल+दूध+पिसी हल्दी मिलाकर, हल्का-सा गर्म करके चेहरे पर मलने से कील, मुँहासे मिट जाते हैं। जानिए – चेहरे से कील मुंहासे हटाने के घरेलू उपाय

खुजली –

सर्दी के मौसम की ठंडी हवाओं से त्वचा सूखी, रूखी होकर फट जाती है, तेज खुजली चलती है। तिल के तेल की मालिश करके गर्म पानी से स्नान करने से त्वचा में आये ये विकार दूर हो जाते हैं। सर्दी के मौसम में तिल के तेल की मालिश करें।

कमर व जोड़ों का दर्द-

(1) पचास ग्राम तिल के तेल में एक चम्मच पिसी सोंठ और मटर के दाने के बराबर हींग डालकर, उबालकर कमर और जोड़ों पर मालिश करने से दर्द में आराम होता है।

(2) पचास ग्राम तिल के तेल में पाँच चम्मच अदरक का रस मिलाकर इतना उबालें कि केवल तेल रह जाये, रस जल जाये। इस तेल की मालिश करने से जोड़ों का दर्द, गठिया में लाभ होता है। तिल का तेल दर्दनाशक का काम करता है। कहीं भी दर्द हो तिल का तेल लगायें, मालिश करें लाभ होगा।

बहुमूत्र – यदि पेशाब बार-बार जाना पड़ता है तो 125 ग्राम तिल, खसखस और अजवायन 60-60 ग्राम, तीनों को मंद आँच पर कढ़ाई में सेंक लें। सेंकने में आधी कच्ची रखें। पूर्णतः नहीं सेंकें। फिर इनको कूट-पीसकर पाउडर बना लें। नित्य यह पाउडर दो चम्मच+एक चम्मच पिसी हुई मिश्री मिलाकर दो बार खायें। केवल अजवायन और तिल के सेवन से भी लाभ होता है। तिल के लड्डू या गुड़ से बनी गजक खाने से भी बहुमूत्र रोग में लाभ होता है।

बवासीर –  नित्य दो चम्मच तिल चबा-चबा कर खायें। बवासीर में लाभ मिलेगा | जानिए – बवासीर का इलाज

 100 ग्राम तिल में पाए जाने वाले पोषक तत्व –

 कैलोरी – 563

 प्रोटीन – 18.3

 कैल्शियम – 1450

 लोहा – 10.5

 विटामिन-ए – 60

 थायोमीन – 1.01

 रिबोफ्लोविन – 0.34

नियासीन – 4.4

शरीर का दर्द :- 

(1) 50 ग्राम तिल या सरसों के तेल में पाँच ग्राम कपूर मिलाकर मालिश करने से शरीर का दर्द ठीक हो जाता है।

(2) जहाँ कहीं भी दर्द हो एक मोटी रोटी उस पर डालडा घी या सरसों या तिल का तेल लगाकर दर्द वाले स्थान पर बांध है, दूर हो जायेगा।

अंगुलियों में सूजन –

सर्दियों में अंगुलियों में सूजन आ जाती है। तिल या सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर गर्म करें तथा रात को इस तेल को अंगुलियों पर लगाकर मोजे पहन कर सो सूजन मिट जायेगी।

जुकाम –

सर्दी के मौसम में जुकाम हो जाए और ठण्ड के कारण बदन में दर्द हो तो 50 ग्राम तिल या सरसों के तेल में 5 ग्राम कपूर मिलाकर छाती और गले पर मलने से बहुत आराम मिलता है। कपूर दवा के काम वाला हो न कि पूजा में जलाने वाला

नासूर –

आक के दूध में रुई की बत्ती भिगोकर सुखा लें। फिर तिल या सरमों के तेल में यह बत्ती रखकर दीपक जलाकर मिट्टी के बर्तन में काजल बनाकर नासुर लगायें।

सिरदर्द –

(1) ठण्ड से सिरदर्द हो, ठण्डे पानी से स्नान करने, ठण्डी हवा में घूमने के कारण सिरदर्द हो तो नाक, कान, नाभि और तलवों पर तिल या सरसों का तेल लगायें, लाभ होगा। (2) तिल या सरसों का तेल नाक में लगाकर या कुछ बूँदें डालकर सूंघने से सिरदर्द बन्द हो जाता है। नित्य दो बूँद नाक के नथुनों में डालते रहने से नेत्र ज्योति बढ़ती है, सर्दी- जुकाम नहीं लगती।

आधे सिर का दर्द –

सिर के जिस आधे भाग में दर्द हो उस नथुने में 8 बूंद तिल या सरसों का तेल डालकर सूँघने से आधे सिर का दर्द शीघ्र बन्द हो जाता है। यह प्रयोग चार-पाँच दिन करें। जानिए – आधे सिर दर्द का उपाय

घमौरियाँ –

अलाइयाँ, घमौरियाँ गर्मी में शरीर पर होती हैं। चार चम्मच तिल या सरसों के तेल में एक चम्मच पानी मिलाकर फैंट कर शरीर पर तीन दिन नित्य मलने से ठीक हो जाती है।

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