विटामिन्स क्या है? (What is Vitamins in Hindi)
विटामिन (Vitamin) शब्द की उत्पत्ति ‘वाइटल’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य तत्त्व। इस सदी के पहले कोई प्रजीवकों का नाम तक नहीं जानता था। उस समय वैज्ञानिकों की मान्यता थी कि यदि आहार में प्रोटीन, कार्बोदित पदार्थ, चरबी और क्षार यथेष्ट मात्रा में हों, तो शरीर को अन्य किसी पोषक तत्त्व की आवश्यकता नहीं होती। इसके बाद कुछ चूहों पर परीक्षण किया गया। चूहों को विशुद्ध प्रोटीन, शर्करा आदि खाद्य पदार्थ खाने के लिए दिये गए। इससे थोड़े ही दिनों में उनका विकास रुक गया। उनका शरीर क्रमश: क्षीण होने लगा और अन्त में वे मर गए। इससे यह तथ्य सामने आया कि उपर्युक्त तत्त्वों के अतिरिक्त कुछ अन्य तत्त्व भी जीवन के लिए आवश्यक है। बाद में जब इन तत्त्वों का आविष्कार किया गया, तो उन्हें विटामिन्स (Vitamins) नाम दिया गया |
अब तक ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’, ‘डी’, ‘ई’, ‘के’ और ‘पी’ आदि विटामिनों की खोज हो चुकी है।
विटामिन(Vitamin) ऐसे कार्बनिक (organic) तत्त्व हैं, जो शरीर में चलनेवाली चयापचय की जन्य क्रिया के लिए सूक्ष्म मात्रा में आवश्यक हैं। शरीर स्वयं इन तत्त्वों का निर्माण नहीं कर सकता। यहाँ विटामिनों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है |
विटामिन्स के प्रकार (Different Types of vitamins in Hindi)
1. विटामिन ‘ए'(Vitamin A) –
रेटिनाल (Anti-Xeropthalmic Vitamin; growth Vitamin) :
विटामिन ‘ए’ (Vitamin A) सम्पूर्ण एवं विशुद्ध रूप केवल जानवरों से ही प्राप्त हो सकता है। किन्तु अपने पूर्व स्वरूप (Provitamin) कैरोटीन के रूप में यह वनस्पतियों में विपुल मात्रा में उपलब्ध है। शरीर के लिए यह विविध रूप में उपयोगी है :
(A.) शरीर के प्रत्येक कोष में चलनेवाली चयापचय की क्रिया के लिए यह आवश्यक है।
(B.) शरीर के विकास के लिए इसकी आवश्यकता होती है। देखा गया है कि चूहों के आहार में विटामिन ‘ए’ (Vitamin A) की मात्रा बढ़ा देने से वे दीर्घायु हुए हैं।
(C.) आँखों की ज्योति बढ़ाने के लिए इसकी अत्यधिक आवश्यकता होती है। विटामिन ‘ए'(Vitamin A) की कमी से रतौंधी का रोग होता है।
(D.) इस विटामिन (Vitamin) की कमी से चर्म रोग, दाँत दर्द, शारीरिक आंतरत्वचा (mucous membrane) की जलन, वजन में कमी तथा पथरी आदि रोग होते हैं।
(E.) इस विटामिन (Vitamin) के अभाव से शरीर में सूजन, रक्त में यूरिक ऍसिड की वृद्धि, पांडुरोग, श्वसनतंत्र का संसर्ग दोष व कान में भारीपन का इलाज, नाक आदि के रोग होते हैं।
हरे पत्तोंवाले साग तथा अन्य भाजियों, गोभी, गाजर, लाल-पीले रंग के पके फलों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन ‘ए’ (Vitamin A) पाया जाता है। यह विटामिन चरबी में घुल जाता है | इसलिए यदि भोजन में चरबी का नीतान्त आभाव हो, तो उसका पूर्णस्वरूप से शोषण नहीं होता।
वास्तव में शरीर में चरबी की एक संचित मात्रा होती है, जो प्रजीवक ‘ए’ के शोषण में सहायक होती है। विटामिन ‘ए’ (Vitamin A) 100 सैल्सियस से अधिक तापमान को लम्बे समय तक सहन नहीं कर सकता। इसलिए अधिक तापमान में वह नष्ट हो जाता है।
2. विटामिन ‘डी’ (Vitamin D) –
कुछ पदार्थों में बच्चों को होनेवाले ‘रिकेट्स’ नामक रोग रोकन के गुण होते हैं। एड्रिनल काटेक्स के साथ से मिलते-जलते ये पदार्थ ‘स्टिराल’ कहलाते है। इनमें से कुछ पदार्थ जब पार-जामनी (ultra-violet) किरणों के संसर्ग में आते हैं, तब उनमें से प्रजीवक ‘डी’ का जन्म होता है।
मानव-त्वचा में विद्यमान डिहाइड्रो कॉलेस्टरोल क्या है जब सूर्य के प्रकाश के संसर्ग में आते हैं तब सूर्य के प्रकाश द्वारा उनका विटामिन ‘डी’ में रूपांतर होता है। इस प्रकार मानवशरीर स्वयं भी विटामिन ‘डी’ (Vitamin D) का निर्माण करने में समर्थ है। इसके अतिरिक्त दूध में भी यह पंजीवक पाया जाता है। विटामिन ‘डी’ (Vitamin D) चरबी में घुल जाता है। यह सामान्य उष्णता एवं उपचयन (Oxidation) को सहन कर सकता है।
विटामिन ‘डी’ (Vitamin D) हड्डिया और दातों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है। विटामिन ‘डी’ के अभाव में कैल्सियम और फोस्फरस निष्क्रिय बन जाते हैं। विटामिन ‘डी’ की कमी से बच्चों में रिकेट्स नामक रोग होता है। इस रोग में हड्डिया नरम पड़ जाती हैं, रीढ़ एवं हाथ-पैर की हड्डियाँ टेढ़ी हो जाती हैं और दोनों में सड़न (caries) पैदा हो जाती है। बड़ों को होनेवाली इस बीमारी को आस्टियोमलेशिया कहते हैं।
3. विटामिन ‘के’ (Vitamin K)
विटामिन ‘के’ (Vitamin K) यकृत में प्रोथ्रोम्बिन के उत्पादन के लिए आवश्यक है। प्रोथ्रोम्बिन नामक तत्त्व रक्त को जमाने के लिए आवश्यक है। विटामिन ‘के’ भी चरबी में घुल जाता है। पानी में यह बहुत ही कम मात्रा में घुलता है।
विटामिन ‘के’ (Vitamin K) गहरे हरे रंग के पत्तोंवाले तरोताजा सागों में पाया जाता है। इसके अलावा आंतों में स्थित मित्र जीवाणु भी इसका उत्पादन करते हैं।
विटामिन ‘के’ (Vitamin K) के अभाव में रक्त जम नहीं पाता, इसलिए शरीर में सहजतापूर्वक रक्तस्राव होता रहता है।
4. विटामिन ‘सी’(Vitamin C) (एस्कार्बिक ऍसिड) :
एस्कार्बिक ऍसिड एक प्रकार की शर्करा है। यह शरीर के लिए अत्यंत उपयोगी है। इससे युवावस्था और कार्यक्षमता दोनों की प्राप्ति होती है। यह दाँतों, हड्डियों और मसूढों को स्वस्थ बनाये रखने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। यह रक्तवाहिनियों को सशक्त बनाती है शरीर के आन्तरिक रक्तस्राव को रोकती है और घाव को शीघ्र भरने में मदद करती है। शरीर में होनेवाले रक्त के चयापचय के लिए भी यह आवश्यक है। अत: यह विटामिन पांडरोग में बहुत उपयोगी सिद्ध होता है |