ग्रीन टी
ल्यूकेमिया रिसर्च जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट से स्पष्ट होता है की क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया जो विशेष रूप से व्यस्क अवस्था में होने वाले ल्यूकेमिया होता है यह रक्त और अस्थि का कैंसर है जिसमें असामान्य श्वेत रक्त कोशिकायें रक्त की स्वस्थ कोशिकाओं का स्थान लेने लगाती है | इस रोग में बचाव करने में हरी चाय (ग्रीन टी) बहुत उपयोगी सिद्ध होती है ।
शिकागो के एक शोध में बताया गया है कि जो महिलाएं प्रतिदिन 2 या 2 से अधिक कप ग्रीन चाय पीती हैं उनमें चाय नहीं पीने वाली महिलाओं की तुलना में गर्भाशय कैंसर का खतरा 46 प्रतिशत कम हो जाता है । शोध में यह भी कहा गया है कि काली और हरी चाय में कैंसर अवरोधक तत्व होते हैं। यह अध्ययन 1987 से 2004 तक हुआ था |
काली चाय बनाने की विधि
काली चाय बनाने के लिये दालचीनी, चाय पत्ती, गुड़ तथा नीबू का रस उपयोग में लेना चाहिए है। (पानी में दालचीनी व गुड़ का टुकड़ा उबालकर, उबलते हुए पानी में चाय पत्ती डाल दें, बर्नर बन्द कर दें, थोड़ा ठण्डा होने के बाद पीने से पहले उसमें आधा नीबू डाल दें)।
वास्तव में, कुछ शोध अध्ययनों में देखा गया है कि ग्रीन चाय का सेवन कैंसर के खतरे को कम करने में सक्ष्म है। ग्रीन चाय में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो कैंसर के खिलाफ लड़ाई में मदद कर सकते है |
कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि ग्रीन चाय में मौजूद केटेकिन, एक प्रकार की एंटीऑक्सिडेंट, कैंसर के खिलाफ लड़ाई में सहायक हो सकती है। यह कैंसर के रोगी को आराम देने वाले अगर नहीं भी हैं तो उन्हें बेहतर महसूस करने में मदद कर सकती है।
हालांकि, यह जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर से सलाह लें और किसी भी कैंसर के इलाज के लिए केवल ग्रीन चाय का उपयोग न करें। इसे कैंसर के उपचार में सम्मिलित किया जाना चाहिए।