कीटाणुनाशक लहसुन-जानिए लहसुन के गुण एवं स्वास्थ्य लाभ

लहसुन के फायदे

लहसुन धातुवर्धक, उष्ण, पित्त व रक्तवर्धक, बल, पाचक, रस. व पाक में कटु, तीक्ष्ण तथा मधुर, कंठ हितकारी, गुरु, वीर्य एवं मेघाकारी और नेत्र हितकारी होता है। इससे हृदय रोग, ज्वर, जीर्ण, कुष्ठ, कृमि, अरुचि, मन्दाग्नि, वायु और श्वास रोग में लाभ मिलता है।

यह चर्म रोग, रतौंधी, पथरी का इलाज, भगन्दर तथा स्त्रियों के स्राव के रोग, मूत्र रोगों जैसे – मूत्रावरोध उपचार , प्लीहा, बालों और वातावरण के लिए भी हितकारी है। इसमें टूटी हुई हड्डी जोड़ने की अभूतपूर्व क्षमता होती है। यह फेफड़ों के रोग, दांतों में मैल जमने और रक्त के गाढ़ेपन को दूर करता है। वृद्धावस्था के आरंभ होते ही मनुष्य की शक्तियां कम होने लगती हैं। लहसुन की कलियों को घी में तलकर नियमानुसार सेवन किया जाएं तो मनुष्य की काम-शक्ति स्थिर तथा उत्तेजित बनी रहती हैं। लहसुन खाने वाली स्त्रियों के स्तन सुडौल रहते हैं।

इसके सेवन से बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है, रोग होने पर विशेष नियम खाने से रोगों में बचाव होता है। लहसुन का प्रभाव सारे शरीर पर होता है। लहसुन चर्मदायक व उत्तेजक होता है। यह संभोग-शक्ति बढ़ाता है, इससे वीर्य व बल बढ़ता है।

नेत्रों व मेधा शक्ति के लिए हितकर है। लहसुन टूटी हड्डियों को जोड़ता है। यह जीर्ण ज्वर, हृदय रोग, वायुगोला, शूल, कब्ज दूर करने का इलाज, खांसी, सूजन, अरुचि, कुष्ठ, बवासीर का घरेलू इलाज, श्वास तथा कफ जैसे रोगों को नष्ट करता है। इसके सेवन से पेट का अफारा दूर होता है। यह सूजन, पक्षाघात, तिल्ली व जोड़ों के दर्द में लाभदायक है। दांतों की सड़न को दूर करता है, बार-बार फुंसियों के होने वाले रोग को भी नष्ट करता है, गुर्दे, फ्लू, पैराटाइफाइड जैसे रोगों को लहसुन शरीर से निकाल बाहर फेंकता है | रोग के कीटाणुओं को तो नष्ट करता ही है साथ ही अन्य रोगों से बचता है |

लहसुन के पौधे की ऊंचाई लगभग बारह से पंद्रह इंच तक होती है और यह प्याज के पौधे से मिलता-जुलता होता है। लगभग आधा इंच चपटे पत्तों की लंबाई छहः इंच से लेकर एक फुट तक होती है। इसके फूल पतले व बहुत छोटे होते हैं। इसके मूल में लगने वाले कन्द को ही लहसुन कहते हैं। जिसमें छोटी-बड़ी आकृति की आठ से बीस कलियां होती हैं तथा कुछ कन्द में एक ही गोल बड़े आकार की पोथियां होती हैं जिसको एक पोथिया लहसुन कहा जाता है।

कीटाणुनाशक लहसुन – 

लहसुन के रसों में एक प्रकार का उड़नशील तेल 0.06 प्रतिशत. प्रोटीन 6.3 प्रतिशत, चूना .03 प्रतिशत, खनिज 1.0 प्रतिशत, कार्बोज 29 प्रतिशत, वसा 1 प्रतिशत, फॉस्फोरस 31 प्रतिशत तथा लोहा 1.3 मिली ग्राम प्रति 100 ग्राम होता है । इसकी दुर्गंध के कारण कुछ लोग इसका प्रयोग करना नहीं चाहते। किन्तु जो लोग इसका प्रयोग करते हैं वे बेशक कई प्रकार के रोगों से अपने को बचाते हैं तथा चेहरे पर एक तेजोमय कान्ति प्राप्त करते हैं । लहसुन की तीव्र गंध को ही इसका सबसे बड़ा गुण माना गया है, जो घातक कीटाणुओं को भी नष्ट कर देती है। इसके इसी गुण के कारण शारीरिक रोगों को दूर करने में मदद मिलती है |

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