गिलोय (Giloy) का उपयोग विभिन्न प्रकार के बुखार में

अक्सर आपने सुना होगा, बुखार है तो गिलोय का काढ़ा पियों | आयुर्वेद में इस औषधि का बड़ा महत्व है |

गिलोय एक प्रभावशाली प्राकृतिक औषधि है, जो बुखार के विभिन्न प्रकारों के उपचार में मदद करती है। इसके नियमित और सही तरीके से सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बुखार से संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिलता है। आयुर्वेद में इसे “अमृता” कहा गया है, जो इसके जीवनदायिनी गुणों को दर्शाता है।

एंटीपीयरेटिक (बुखार को कम करने वाला):

गिलोय बुखार को प्राकृतिक रूप से कम करता है।

एंटीवायरल:

यह वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है।

एंटीमलेरियल:

मलेरिया के परजीवियों के खिलाफ लड़ता है।

इम्यूनोमॉड्यूलेटर:

गिलोय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।

एंटीऑक्सीडेंट:

यह शरीर में विषैले तत्वों को निष्क्रिय करता है, जो संक्रमणों को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

गिलोय का उपयोग विभिन्न प्रकार के बुखार में:

1. डेंगू बुखार:

लक्षण:

तेज बुखार, प्लेटलेट्स की संख्या में कमी, कमजोरी, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द।

गिलोय से डेंगू बुखार का उपचार –

गिलोय का काढ़ा डेंगू में बेहद प्रभावी है। यह प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाने में मदद करता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे शरीर वायरस से लड़ पाता है। डेंगू बुखार में इसका सेवन करने से बुखार नियंत्रित होता है और कमजोरी कम होती है।

उपयोग विधि:

गिलोय की डंडी को पानी में उबालकर उसका काढ़ा तैयार करें। इसे दिन में दो बार पीएं, खासकर सुबह खाली पेट और शाम को।

2. मलेरिया बुखार:

लक्षण:

तेज बुखार, कंपकंपी, सिरदर्द का इलाज, मांसपेशियों में दर्द।

गिलोय का प्रभाव:

मलेरिया में गिलोय के सेवन से बुखार में राहत मिलती है और परजीवियों की वृद्धि रुकती है। इसके साथ ही यह शरीर को पुनः शक्ति प्रदान करता है |

उपयोग विधि:

गिलोय की पत्तियों या डंडियों का रस निकालें और इसे सेवन करें। इसे सुबह और शाम को लेने से बुखार और अन्य लक्षणों में सुधार होता है।

3. वायरल बुखार:

लक्षण:

सामान्य सर्दी-जुकाम, गले में खराश, बुखार, थकान।

गिलोय का प्रभाव:

गिलोय में एंटीवायरल गुण होते हैं जो वायरल संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। यह बुखार को कम करने के साथ-साथ शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

उपयोग विधि:

गिलोय के रस में तुलसी के पत्ते खाने के फायदे । यह वायरल बुखार के लक्षणों को कम करने में कारगर होता है। दिन में दो बार इसका सेवन करें।

4. क्रॉनिक फीवर (दीर्घकालिक बुखार):

लक्षण:

लंबे समय तक रहने वाला बुखार, बार-बार बुखार आना।

गिलोय का प्रभाव:

गिलोय शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाकर पुराने बुखार का उपचार से निजात दिलाने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से शरीर में गर्मी और संक्रमणों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।

गिलोय का सेवन कैसे करें:

गिलोय का काढ़ा:

  • गिलोय की ताजी डंडी को छोटे टुकड़ों में काट लें।
  • इसे एक बर्तन में पानी डालकर उबालें।
  • जब पानी आधा रह जाए, तो इसे छानकर दिन में दो बार पीएं।

गिलोय का रस:

  • ताजी गिलोय की डंडी को कुचलकर उसका रस निकाल लें।
  • 10-20 ml रस सुबह खाली पेट सेवन करें।

गिलोय की गोलियाँ:

बाजार में उपलब्ध गिलोय की गोलियाँ भी उपयोगी होती हैं। इन्हें दिन में 1-2 बार डॉक्टर की सलाह अनुसार लिया जा सकता है।

गिलोय का पाउडर:

सूखी गिलोय का पाउडर बनाकर उसे पानी या शहद के साथ सेवन किया जा सकता है।

चिकित्सकीय परामर्श:

यदि आप किसी अन्य दवा का सेवन कर रहे हैं, तो गिलोय का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

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