शहतूत (Mulberry) विभिन्न भाषाओं में नाम
हिन्दी – शहतूत, पंजाबी- शितूत, कोंकणी-अमोर, गुजराती-तुतरी, अंग्रेजी-Mulberry
शहतूत का वृक्ष मूलतः चीन का वृक्ष है जो कि सम्पूर्ण भारत वर्ष के मैदानी इलाकों में बहुतायत से पाया जाता है। यह वही वृक्ष है जिस पर रेशम के कीड़ों हो जाते है। यह मध्यम ऊंचाई वाला घना वृक्ष होता है। इसका तना काठीय एवं मध्यम मोटाई वाला होता है। शाखाएँ खूब होती है। वे काष्ठीय भी होती हैं। इसकी पत्तियाँ गुडहल की पत्तियों के समान कटान युक्त, नुकीले सिरे वाला तथा जालीय शिराविन्यास वाली होती है। इनकी सतह खुरदरी होती है। यह रूप में एक लटकते हुए अक्ष पर समूह पाये जाते है। समस्त पुष्प एक लिंगी होते हैं। फल अधपके होने पर पीले-सफेद, पक जाने पर काले होते हैं। फल किसी कीड़े जैसे दिखाई देते हैं। इसका बनस्पतिशास्त्र में मोरस एल्बा (Morus alba) के नाम से जाना जाता है। शहतूत के अनेक औषधिक महत्त्व हैं। उनमें से कुछ अत्यंत ही सरल प्रभावी एवं निरापद प्रयोग निम्न हैं
शहतूत फल खाने के स्वास्थ्य फायदे :-
कब्ज
कब्ज होने की स्थिति में शहतूत की छाल के चूर्ण की लगभग आधा तोला मात्रा रात्रि के समय जल से लेवें। पढ़िए – पुरानी कब्ज का इलाज
पेट के कीड़े
पेट में कीड़े पड़ जाने की स्थिति में शहतूत की ताजी छाल को जल में उबालकर लेने से लाभ होता है।
नकसीर फूटने पर
प्रायः नकसीर फूटने पर शहतूत के पके हुए फलों का शरबत पीने से आराम हो जाता है। यह शरबत 2-3 दिनों तक लेने से रोग समास होता है ।
बच्चों के पेट में कीड़े होने पर
शहतूत की छाल का काढ़ा बनाकर बच्चों को सुबह शाम 1-1 चम्मच देने से लाभ होता है। पढ़िए – पेट दर्द के उपाय
दाद, खाज, खुजली आदि त्वचा रोगों पर-
शहतूत की ताजी पत्तियों को चटनी की भाँति पौस कर त्वचा के संबंधित क्षेत्र पर लेप करने से त्वरित लाभ होता है। पत्तियों को तेल में उबाल कर उसी तेल को लगाकर भी यही लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
ग्रीवा रोगों में अर्थात् कुष्ठ रोगों में –
नित्य कुछ दिनों तक पके हुए शहतूत के फलों का सेवन हितकारी है।
ज्वर होने पर-
शहतूत के अधपके फलों का सेवन करना लाभदायक होता है।
स्वर भंग होने पर-
शहतूत की पत्तियों क्वाथ से गरारा करने से बहुत आराम होता है।
मस्तिष्क विकारों में स्मृति लोप होने की स्थिति में अथवा चिड़चिड़ेपन की स्थिति में –
उन्माद होने पर अथवा मस्तिष्क संबंधी किसी भी विकार की स्थिति में शहतूत की मूल का चूर्ण दूध से लेने से लाभ होता है। इसकी मूल के चूर्ण की आधी चम्मच मात्रा पर्यास है। तंत्रिका तंत्र की कमजोरी का घरेलु उपचार
धातु पुष्टिकरण हेतु –
शहतूत की जड़ की छाल का चूर्ण दूध से लेना हितकर है । इस प्रयोग को नियमित कुछ दिनों तक करने से धातु पुष्ट होती है तथा वीर्य स्तम्भन काल में वृद्धि होती है।
फोड़े फुन्सी में –
शरीर पर होने वाले फोड़े-फुन्सियों पर शहतूत के स्तम्भ का रस लगाने से शीघ्र लाभ होता है।