Hernia
हर्निया(Hernia) एक आंत सम्बन्धी बीमारी है| ये एक ऐसा रोग है जिसे डॉक्टर्स बीमारी मानते ही नहीं है | मगर ये सोच बिलकुल गलत है | हर्निया के रोग मैं एसिड(Acid) बुहत तेज़ी से बनता हैं, इसलिए आयुर्वेद मैं इससे वात रोग भी कहा जाता है| आयुर्वेद मैं कहा जाता है कि हर बीमारी की मुख्य जड़ पेट की कमज़ोरी होती है | हर्निया भी पाचन तंत्र की कमज़ोरी की वजह से होता है | अगर ये रोग आपको जवानी मैं हो गया हैं तो समझ ले आपका बुढ़ापा बुहत दर्दनाक होने वाला है | जैसे की हमने बताया की इसमें एसिड सम्बन्धी बीमारी हो जाती हैं बॉडी मैं गर्मी बढ़ने से बाकि ऑर्गन्स(organs) पे भी प्रभाव पड़ता है |
Inguinal hernia(वंक्षण हर्निया)
Inguinal hernia (वंक्षण हर्निया) की इस्तिथि मैं आंत के निचले हिस्से की दिवार कमज़ोर हो जाती है जिससे उसमे छेद हो जाता है और वे बहार की तरफ लटकने लगती हैं जिससे की उस हिस्से मैं सूजन महसूस होती है |
Femoral hernia(और्विक हर्निया)
इस हर्निया मैं सूजन आंत के निचे हिस्से से लेकर जांघो तक जाती हैं इसलिए इससे फेमोरल हर्निया कहा जाता है|
Umbilical hernia(नाल हर्निया)
umbilical hernia (नाल हर्निया) मैं नाभि के पास वाली दिवार कमज़ोर होने की वजह से उभरने लगती है और वहाँ सूजन पैदा हो जाती है| ये हर्निया ज्यादा तर पे बच्चों मैं पाएं जाने वाला रोग है|
Hiatal hernia(हाइटल हर्निया)
Hiatal hernia (हाइटल हर्निया) के लक्षण पहचान पाना थोड़ा मुश्किल होता है |
क्योंकि इस स्तिथि मैं पेट मैं कहीं भी सूजन नहीं दिखती | इस हर्निया के मुख्य लक्षण है सीने मैं जलन, खट्टे डकार आना, खाना मुँह के ज़रिए कभी कबर बाहर आना इत्यादि|
अगर हम एलोपैथी की बात करें तो इसमें इस रोग का इलाज सिर्फ ऑपरेशन है, तो क्या हमें ऑपरेशन करवा लेना चाहिए है?
मेरा आप से निवेदन है के ऑपरेशन सिर्फ उसी स्थिति मैं ही करवाएं अगर तकलीफ बुहत ज्यादा बढ़ गयी हैं |
जानिए – पेट दर्द का इलाज
तो अब सवाल ये उठता है के इसका इलाज करें कैसे?
इसका जवाब हैं आयुर्वेदिक औषधियां और परहेज़ |
ऐसा माना गया है के काफी लोग आयुर्वेद मैं विश्वास नहीं करते | क्यूंकि आयुर्वेद एक स्लो(slow) प्रोसेस है जो ठीक होने मैं टाइम ज़रूर लेता है मगर बीमारी को जड़ से खत्म करता है, मगर इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी मैं हम जल्द आराम चाहते हैं इसलिए हम एलॉपथी लेना जयादा पसंद करते है |
आज कल हमने ऐसा भी देखा हैं के रोगी काफी समय तक आयुर्वेदिक दवाई लेके भी ठीक नहीं हो पा रहे | इसका कारण है खाने मैं परहेज़ नहीं करना, जंक फ़ूड, ताला भुला भोजन इत्यादि का अधिक सेवन करना | इसका ब्लॉग का मुख्य कारण ही आपको बीमारी से सम्भान्धि परहेज़ बताना हैं |
हमे परहेज़ सिर्फ बाहर के ताले भुने भोजन से ही नहीं करना बल्कि घर के खाने मैं भी परहेज़ करना चाहिए |
ऐसी कई सब्जियाँ है जिसे अगर हम रोग की स्तिथि मैं खाते रहे तो हमारा रोग ठीक नहीं हो सकता चाहे हमें कितनी औषधियां क्यों न ले लें |
आइए हम जाने हर्निया मैं क्या खाएं और क्या ना खाएं?
खाएं |
ना खाएं |
Turnip (शलजम ) | Potato(आलू) |
White Goose Foot(बथुआ ) | Tomato(टमाटर) |
Turmeric(Haldi) | Onion(प्याज़) |
Sweet Potato(शकरकंद) | Garlic(लहशुन) |
Spring Onion(हरा प्याज, गंठा) | Green Chilli(हरी मिर्च) |
Spinach(पालक) | Mustard Greens(सरशो पत्ता) |
Pumpkin(घिया, कद्दू ) | Cluster Beans(गवार फली ) |
Ginger (अदरक) | Chilli (मिर्च) |
Green Beans(शेम के फली) | Cauliflower(फूल गोभी) |
Radish(मूली) | Capsicum(शिमला मिर्च) |
Lady Finger(भिन्डी) | Cabbage(पत्ता गोभी ) |
Mushroom (कुम्भी, खुखड़ी) | Kidney beans(राजमा) |
Corn( मक्का) | Colocasia Root(अरबी, पेक्ची) |
Natal Plum(करुन्दा) | Amaranth Leaves (हरी चोलाई ) |
Pointed Gourd(परवल, पटल) | |
Peppermint(पुदीना) | |
Ridged Gourd(तोरी, झींगी) | |
Red Chilli(लाल मिर्च ) | |
Peas (मटर) | |
Cucumber(खीरा) | |
Carrot(गाजर) | |
Black Pepper(काली मिर्च) | |
Bottle Gourd (लौकी, कद्दू, घिया) | |
Bitter Gourd (करेला) | |
Beetroot (चकुंदर) | |
Raw Papaya(कच्चा पपीता) | |
Indian Gooseberry(आंवला) | |
Cucumis Utilissimus( ककड़ी) | |
Broccoli (हरी गोभी ) | |
Ash Gourd(पेठा ) | |
Apple Gourd(टिंडा) |
हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज :-
- प्रकार्तिक चिकित्सा मैं एनीमा(enema) का बड़ा महत्व है |अगर आपको कब्ज़ की समस्या रहती हैं तो 15 दिन मैं एक बार एनीमा ज़रूर ले | इसके बाद गुनगुना पानी का कटि स्नान ले | कटिस्नान लेते समय सर पे गीला तुलिया सर पे रख ले जिससे पेट की गर्मी सर पे ना जा सके| अन्यथा आपको सर दर्द की समस्या तंग कर सकती है |
NOTE – इस इलाज को सही तरीके से करने के लिए बेहतर यही रहेगा के आप नजदीकी प्रकिर्तिक चिकित्सा केंद्र पे जाके चिकित्सा की सलाह मैं इलाज ले |
- हर्निया की रोग मैं रसवंती लेप संजीवनी का काम करती हैं |
रसवंती लेप क्या है ?
रसवंती नामक औषधि आपको किसी भी आयुर्वेदिक दुकान से मिल जाएगी, इससे आप गौ मूत्र मैं मिला कर नाभि के निचले हिस्से मैं लेप करें|
ये लेप आप रात को लगा के सो जाएं |
सुबह इससे गुनगुने पानी से धो ले आपको हर्निया के दर्द मैं काफी आराम मिलेगा |
- मेहँदी के पत्ते का प्रयोग भी हर्निया मैं संजीवनी का काम करती हैं |
मेहंदी के पत्तों को पानी मैं धीमी आँच पे उबाल ले फिर इन पत्तों को ठंडा होने पर अंडकोष के निचे रख दे तथा लंगोट बंद ले | इस इलाज को आपको रात को सोते समय करना है |
ये इलाज को आप 3 दिन तक लगातार करें आपको लाभ होगा
- सीसम के पत्तों से भी हर्निया का इलाज किया जाता हैं | सीसम के पत्तों को गरम पानी मैं दाल ले उसमे थोड़ा सा तिल्ली का तेल दाल ले, फिर इससे धीमी आँच पे उबाल मैं और फिर ठंडा होने पर नाभि के पुरे निचले हिस्से पे बिछा दे फिर ऊपर से कपडा लपेड़ ले |24 घंटे इन पत्तों का बंधे रखे आपको हर्निया मैं आराम मिलेगा
- अगर हर्निया मैं आपको पेट मैं बड़ी ज़ोर से दर्द हो तो आप एक साधारण सा उपाय करें आपको तुरंत आराम मिलेगा |इलाज कुछ इस प्रकार है | कच्चे जीरे को चबा चबा कर खाएं और फिर 10 मिनट बाद पानी पी ले आपको पेट दर्द मैं आराम मिलेगा