कुल्थी से गुर्दे की पथरी का उपचार:-
250 ग्राम कुल्थी कंकड़-पत्थर निकालकर साफ कर लें और पहले इसे रात में तीन किलों पानी में भिगो दें | फिर सवेरे भीगी हुई कुल्थी सहित उसी पानी को धीमी-धीमी आग पर लगभग चार घंटे पकाएँ और जब एक किलो पानी रह जाएँ तब निचे उतार लें | फिर तीन ग्राम से पचास ग्राम (पाचन शक्ति के अनुसार) देशी घी का उसमे छौंक लगाये | छौंक में थोड़ा सा सेंधा नमक, काली मिर्च, जीरा, हल्दी डाल सकते हैं | बस, भोजन का भोजन और स्वादिष्ट सूप के साथ पथरी नाशक औषद्यि तैयार है |
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प्रयोग विधि –
दिन में एक बार दोपहर के भोजन के स्थान पर बारह बजे एक सारा सूप पी जायें | कम-से-कम 250 ग्राम अवश्य पिएँ | एक-दो सप्ताह में इससे गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गलकर बिना आपरेशन के बाहर आ जाती है|
विशेष –
(1.) जब तक पथरी बाहर न निकले यह पानी रोजाना एक बार पीते रहें | अधिक दिनों तक लेते रहने से कोई हानि नहीं है | एक सप्ताह से पाँच सप्ताह तक लें |
(2.) इसके लगातार कुछ दिनों के सेवन से पथरी के तीव्र हमले रुक जाते हैं | पथरी के रोग में यह अमृत तुल्य है | (3.) यदि भोजन के बिना कोई व्यक्ति रह ना सके तो सूप के साथ एकाध रोटी लेने में कोई हानि नहीं है |
(4.) गुर्दे के प्रदाह और सूजन में ऐसा पानी रोगी जितना पी सके, पीने से दिन गुर्दे का प्रदाह ठीक होता है |कुल्थी का इस्तेमाल (दाल, लोबिया और चनों के सूप के रूप में ) कमर-दर्द की भी रामबाण दवा है | कुल्थ की दाल साधारण दालों की तरह पकाकर रोटी के साथ प्रतिदिन खाने से भी पथरी पेशाब के रास्ते टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है | यह दाल मज्जा (हड्डियों के अंदर की चिकनाई) बढ़ाने वाली है |
पथरी में लाभदायक भोजन – कुल्थी के अलावा खीरा, तरबूज के बीज, खरबूजा के बीज, चौलाई का साग, मूली, आँवला, अनन्नास, बथुआ, जौ, मूँग की दाल, गोखरू आदि | कुल्थी के सेवन के साथ दिन में 6 से 8 गिलास सदा पानी पीना, खासकर गुर्दे की बिमारियों में, बुहत हितकारी सिद्ध होता है |
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पथरी में परहेज़ –
पालक, टमाटर, बैंगन, चावल, उड़द, लेसदार पदार्थ, सूखे मेवे, चॉकलेट, चाय, मधपान, मांसाहार आदि| मूत्र को रोकना नहीं चाहिए तथा लगातार एक घंटे से अधिक देर तक, एक ही आसन पर नहीं बैठना चाहिए | गुणों की दृष्टि से कुल्थी पथरी एवं शक्करनाशक है |
वात एवं कफ का शमन करने वाली होती है और शरीर में उनका संचय रोकने वाली होती है कुल्थी में पथरी का भेदन तथा मूत्रल दोनों गुण होने से पथरी बनने में प्रवृत्ति और पुनरावृति रोकती है | इसके अतिरिक्त यह यकृत व प्लीहा के दोष में लाभदायक है और निरंतर प्रयोग करने से धीरे-धीरे मोटापा भी दूर होता है |
एक अन्य विधि – लगभग 50 ग्राम कुल्थी के बीज 250 ग्राम पानी में रात में भिगो दे | प्रातः उबले | जब पानी उबलकर सौ ग्राम रह जाये तब उतारकर छान लें और गुनगुना रोगी को पिला दे | सुबह-शाम इसी तरह पिलाने से कुछ ही दिनों में पथरी गलकर निकल जाती है|
विशेष –
(1.) इस विधि से समय कुछ ज्यादा लग सकता है | कुछ केस चार छह महीनों के सेवन से ठीक हुए हैं |
(2.) पानी पी लेने के बाद बची हुई कुल्थी का साग (बिना रेशे की दाल की तरह) दस ग्राम देशी घी का छौंक लगाकर, नमक हल्दी, जीरा मिलकर रोटी के साथ या वैसे ही सेवन करें तो शीघ्र लाभ होगा |
(3.) कुल्थी के प्रयोग से मूत्राशय की पथरी (जिसका व्यास एक से. मि. से ज्यादा ना हो) घुल-घुलकर और टुकड़े-टुकड़े होकर मूत्रमार्ग से निकल जाती हैं |
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कुल्थी भिगोकर बनाया गया कुल्थी का पानी पीना – अकेला कुल्थी का पानी विधिवत लेने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी निकल जाती हैं और नयी पथरी बनने के प्रवर्ति भी रुक जाती हैं | पहले किसी साफ, सूखे, मुलायम कपड़े से कुल्थी के दोनों को साफ कर लें | फिर इन्हें किसी पॉलीथिन की थैली में डालकर किसी टीन में या कांच के मर्तबान में सुरक्षित रख लें |
कुल्थी का पानी बनाने की विधि –
किसी कांच के गिलास में 250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुल्थी डालकर ढककर रात भर भीगने दें | प्रातः एक और कांच का गिलास लेकर उसमें उलट पलट कर लें या प्लास्टिक के चम्मच से अच्छी तरह हिलाकर इस कुल्थी के पानी को खली पेट पी लें | फिर उतना ही नया पानी उसी कुल्थी के गिलास में और डाल दें जिसे दोपहर में पी लें | दोपहर में कुल्थी का पानी के बाद पुनः उतना ही नया पानी शाम को पीने के लिए डाल दें | इस प्रकार रात में भिगोई हुई कुल्थी का पानी अगले दिन बार सुबह, दोपहर, शाम पीने के बाद उन कुल्थी के दोनों को फ़ेंक दें और उनके स्थान पर 20 ग्राम नये कुल्थी के दाने लेकर अगले दिन के लिए इसी प्रकार पानी में भीगोने में रख दें | इस विधि से कुल्थी का पानी बना-बनाकर रोजाना तीन बार आवश्यकतानुसार एक महीने से तीन महीने तक पीते रहने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी गलकर निकल जाती हैं तथा दोबारा पथरियाँ बनने की प्रक्रिया से भी बचाव होता हैं | इसके अतिरिक्त इस कुल्थी के पानी के सेवन से अधिक रक्तचाप व बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल घटता हैं, गुर्दे का संक्रमण और अन्य रोगों में भी लाभ पहुँचता हैं |