गठिया (जोड़ों का दर्द) कारण (Causes of Arthritis in Hindi)
गठिया या आमवात के अनेक कारण माने गए हैं। वैसे जब शरीर के भीतर के विकार जोड़ों में इकट्ठे हो जाते तो गठिया का रोग हो जाता है। चावल, मैदा, खोया, चीनी, इनसे बने पदार्थ, गरम व तेज मसाले, चाट, अंडे, मछली, मांस, शराब, तम्बाकू को छोड़ने के उपाय– ये सारी चीजें हमारे शरीर के रक्त में अम्लता पैदा करती हैं।
हमारे रक्त में क्षार की मात्रा भी होती है, परंतु अम्लता क्षार को नष्ट कर देती है। इससे जोड़ो में विकार उत्पन्न हो जाते है | ग्रंथियों से जो रस निकलते हैं वे पाचक रस द्वारा पचाए नहीं जाते। यह रस संधियों में प्रविष्ट होकर आमवात का रोग उत्पन्न कर देता है। कुछ आयुर्वेद के ग्रंथों में कहा गया है कि वायु कफ के साथ मिलकर शरीर के जोड़ों में इकट्ठी हो जाती है| जो गठिया का रोग उत्पन्न कर देती है।
गठिया (जोड़ों का दर्द) लक्षण (Symptoms of Arthritis in Hindi)
इस रोग में जोड़ों में दर्द होता रहता है। भोजन में अरुचि हो जाती है। प्यास आधक लगती है। शरीर में आलस्य के कारण काम करने की इच्छा नहीं होती है। शरीर भारी-सा हो जाता है। खाया भोजन पचता नहीं है और कभी-कभी बुखार हो जाता है। कोई अंग सुन्न भी मालूम पड़ता है। सिर, हाथ, पैर, घुटने और जांघ में बुरी तरह दर्द होता है। रोगी का मन हर समय उसी में पड़ा रहता है। खाने-पीने की चीजों से मन हट जाता है। पैरों में जलन होती है। बार बार पेशाब आता है।
नीम से करे गठिया रोग को जड़ से खत्म – जानिए कैसे
1. नीम की छाल, सोंठ, काली मिर्च, वायविडंग और सेंधा नमक – सब 10-10 ग्राम लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम गरम पानी से सेवन करें।
2. नीम की पत्तियां, सोंठ, हरड़, गिलोय का काढ़ा बनाकर पीएं।
3. नीम की छाल, सोंठ तथा मुण्डी को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को गरम पानी के साथ सुबह-शाम लें।
गठिया रोग की आयुर्वेदिक दवाइयाँ –
- पुनर्नवादि चूर्ण
- पथ्याद्य चूर्ण
- चित्रकादि नागर चूर्ण
- आमवात गजकेसरी रस
- पिपल्यादि क्वाथ
- योगराज गुग्गुल।
गठिया में परहेज़ – जानिए क्या खाएं क्या नहीं?
गठिया में क्या खाएं?
1. पुराने चावल
2. मट्ठा
3. परवल
4. लहसुन के गुण
5. करेला
6. बैंगन
7. सहजन की फली
8. बिना चुपड़ी रोटी तथा साबूदाना आदि का सेवन करना चाहिए।
गठिया में क्या नहीं खाएं?
इसके विपरीत
1. मछली
2. गुड़
3. दूध
4. दही
5. उड़द की दाल
6. कचौड़ी
7. पूड़ी
8. विषम तथा भारी पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
मल-मूत्र के वेग को न रोकें। इसके अलावा क्षारयुक्त भोजन खाना चाहिए। गर्मियों में प्रात:काल तथा जाड़ों में दोपहर को धूप स्नान करना चाहिए। स्नान में गरम पानी से नहाना चाहिए।