प्राकृतिक चिकित्सक रूप में स्वस्थ रहने के लिए निम्न कार्यवाहक उपायों का स्वप्रयोग करें और पूर्णतः स्वस्थ रहें।
1) सप्ताह में चार बार सिर की मालिश करें।
2) सिर में शैम्पू, साबुन की जगह मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग करें।
3) चार बादाम, चार मुनक्के व दो काली मिर्च रात को भिगोकर, सुबह सिलबट्टे पर पीसकर गुनगुने दूध से लें। दृष्टि, दिमाग व दम-खम के लिए अति उत्तम नुस्खा है।
4) सुबह के समय वही लोग भारी नाश्ता करें, जिन्हें पुरे दिन कठिन परिश्रम करना होता है।
5) जब बहुत तेज भूख लगी हो तभी भोजन करें।
6) अधिक मसालेदार, तीखा, खट्टा, चिकनाई युकत भोजन शरीर के लिए हानिकारक है।
7) सुबह पांच बजे उठ जाएं तथा रात को दस बजे सो जाएं।
8) भोजन में सलाद, दूध में छुहारा खाने का फायदा, दही, फल, हरी सब्जियां सबको थोड़ा-थोड़ा शामिल करें |
9) सब्जियों को काटने से पहले सब्जी को अच्छी तरह धो लें। काटने के बाद भी धोएं |
10) भोजन शुद्ध, सात्त्विक पदार्थों से निर्मित हो |
11) आहार को अधिक पीसने, भूनने, तलने से उसके स्वाभाविक गुण: नष्ट हो जाते हैं। फल, दाल आदि छिलके सहित ही खाएं ।
12) सप्ताह में एक दिन उपवास रखें। उपवास वाले दिन दूध, छाछ, निम्बू पानी के फायदे, सलाद, फल आदि ही लें। पानी खबू पिएं ।
13) सुबह के नाश्ते में अंकुरित अनाज, दूध, छाछ, फल लें ।
14) भोजन करने के तुरंत बाद कदापि स्नान न करें ।
15) रात को सोने से पहले व सुबह उठकर ब्रश, दातून, कुल्ला अवश्य लें |
16) कुछ भी खाने के बाद नमक के पानी से कुल्ला अवश्य करें |
।7) आइसक्रीम, टॉफी, बबलगम आदि ऐसी चीजें दांतों को गला-सड़ा देती है इसलिए इनका उपयोग बच्चे-बड़े कभी न करें।
18) भोजन करते समय व भोजन से आधा घंटा पहले तथा एक घंटे बाद तक पानी न पिएं।
19) प्रात:काल शौच आदि से निवृत्त होकर टहलना एक अच्छा व्यायाम माना गया है |
20) भोजन के साथ पानी की जगह जूस, फल, छाछ कुछ भी लें सकते है |
21) रूग्णता एक अस्वाभाविक स्थिति है जो आहार-विहार में गड़बड़ी से प्रकृति की व्यवस्था के उल्लंघन से उत्पन्न होती है |
22) प्रात:काल टहलते समय नाक से लम्बी सांस ले |
23) जवान या युवा लोग धीरे-धीरे दो-तीन कि. मी. दौड़ लगाएं |