तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर थोड़ी सी फिटकिरी पीस कर मिला दें | गुनगुने काढ़े से रुई के फाहे द्वारा पलकों की सिकाई करें|सूजन मिट जाएगी और आंखें ठीक हो जाएंगी। आधा-आधा घंटे में तीन-चार बार करें।
मोतियाबिन्द
तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर सुबह-शाम लगाने से जाला कट जाता है। अगर जाला पक भी गया हो तो भी लाभ पहुंचाता है।
जिन लोगों की पाचन शक्ति कम है उन्हें खाना-पीना ठीक से हजम नहीं हो पाता उनके लिए तुलसी के ताजा पत्ते पीसकर पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से उसकी पाचन शक्ति ठीक हो जाएगी। यह सेवन एक मास तक चलना चाहिए।
बवासीर
तुलसी के पत्ते (तीन या पांच) रोज सुबह खाएं। बवासीरमें लाभ मिलेगा |
पचास ग्राम तुलसी के पत्ते, पांच काली मिर्च आधा किलो पानी में उबालिए। जब पानी आधा रह जाए, सुबह, दोपहर और शाम को दो-तीन दिन गुनगुना करके पिलाएं। दो दिन में ही रोग से छुटकारा मिल जाएगा।
सूखी खांसी हो तो तुलसी के बीज, अदरक और प्याज समान मात्रा में लेकर कूटें और शहद मिलाकर चटा दें।
खांसी
तुलसी-रस में नीबू-रस समान मात्रा में मिलाकर रोजाना मुंहासों पर मलिए। पूरे मुखड़े पर मलने से कान्ति बढ़ती है।
मुंहासे
दाग-चकत्ते
काली तुलसी के पत्ते, काली करौटी के पत्ते और नीबू का रस समान मात्रा में किसी तांबे के बर्तन में डालकर धूप में रख दें। जब गाढ़ा हो जाए तो दाग-चकत्तों पर लेप कर दें। इससे मुंहासे और सफेद दाग भी नष्ट हो जाते हैं।
इस रोग का इलाज तुलसी उद्यान में निवास और तुलसी-रस का निरंतर सेवन ही है।