हृदय रोग –
हृदय रोग पांच प्रकार के होते हैं-वातज, पित्तज, कफज , सन्निषात तथा कृमिज। ये पांचों प्रकार के हृदय रोग अनियमित आहार, मानसिक तनाव के कारण, शोक व भय आदि कारणों से होते हैं। वातज हृदय रोग में संपूर्ण हृदय में सुई चुभने जैसी तथा इससे मिलती-जुलती पीडाएं होती हैं। पित्तज हृदय रोगों में जलन दाह, संताप, पसीना आना, मूर्च्छा आना तथा मुंह सूखना आदि लक्षण प्रकार होते हैं।
कफज में मुंह में मीठापन, भारीपन, मुंह में जकड़न, ह्रदय की जकड़न, अरुचि व मंदाग्नि आदि लक्षण देखे जाते हैं जबकि कृमिज में हृदय के किसी एक भाग में गांठ पड़ जाती है।
उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
उच्च रक्तचाप कारण –
स्थायी रक्तचाप की समस्या प्रमुखत: परुषों में होती हैं। एक सामान्य बामारीं है, जो उम्र के किसी भी पड़ाव में हो सकती है, फिर भी 30 वर्ष की उम्र के बाद ही इसके अधिक रोगी देखे गए हैं। उच्च रक्तचाप के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें अत्यंधिक थकान, धूम्रपान, मोटापा, व्यायाम न करना , शराब का अत्यधिक सेवन, जानिए – शराब कैसे छुड़ाएं , भोजन में अधिक नमक प्रमुख हैं। गुर्दो के रोग, गर्भावस्था व एड्रीनल ग्रंथियों के विकार से भी उच्च रक्तचाप हो जाता है।
उच्च रक्तचाप लक्षण –
इसके प्रत्यक्ष लक्षण नहीं होते। इसमें रोगी को सिर दर्द के कारण, चक्कर आना व सांस लेने में कठिनाई होती है।
उच्च रक्तचाप उपचार –
आंवला – आंवले का मुरब्बा चांदी के वर्क के साथ खाने के बाद थोड़ा दूध पीकर आराम करने से लाभ होता है | सूखे आंवले के चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री पीसकर मिला लें। इस को प्रतिदिन प्रातः काल खाएं या पानी के साथ पिए |
तरबूज – तरबूज के बीजों में पाए जाने वाले तत्वों की वजह से गुर्दे की बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं जैसे की गुर्दे की पथरी का इलाज , जिनका हृदय पर असर पड़ता है इससे उच्च रक्तचाप कम हो जाता है। इसके लिए तरबुज के बीजो को छाया में कुछ घंटो सूखने दें, फिर उन्हें चूर्ण की तरह पीस लें। इसके पश्चात इस चूर्ण को को गर्म उबलते हुए एक गिलास पानी में डालकर एक घंटे तक भीगने दें | तत्पश्चात पानी को छान लें। छाने हुए पानी की चार खुराकें नित्य पीएं। इससे उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है |उच्च रक्तचाप में तरबूज के बीज की गिरी खाने से भी लाभ होता हे। तरबूज के रस का सेवन उच्च रक्तचाप को कम कर देता है। तरबूज के बीज की गिरी व सफेद खसखस को अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में रख लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम एक-एक चम्मच खाली पेट खाएं। इससे बढ़ा हुआ रक्तचाप धीमा हों जाता है। तरबूज खाने से भी उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है। यहां ध्यान रखें कि तरबूज भोजन करते हुए बीच में या भोजन के एक घंटे बाद खाना चाहिए |
गाजर – गाजर व पालक का रस क्रमश – 300 व 125 ग्राम मिलकर पीने से से उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है।
ककड़ी – बिना नमक डाले कच्ची ककड़ी खाने से व इसका रस पीने से उच्चरक्तचाप ठीक हो जाता है।
पपीता – सुबह के समय खाली पेट पका हुआ पपीता खाना चाहिए | यहाँ ध्यान रखें कि पपीता खाने के एक -दो घंटे तक कुछ नहीं खाएं। यह उपचार महीने भर तक करें।
मुनक्का – मुनक्का में लहसुन की कली रखकर खाना उच्च रक्तचाप को ठीक कर देता है। जानिए – मुनक्का खाने के फायदे
केला – केले में पाया जानेवाला पोटेशियम उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
सेब – दो सेब प्रतिदिन खाने से उच्च-स्क्तचाप नहीं होता। इसका नियमित सेवन उच्च रक्तचाप को खत्म कर देता है।
नीबू – नीबू में ऐसे गुण पाए जाते है जो रक्त वाहिनियों में लचक पैदा करते हैं। उच्च रक्तचाप के लिए नीबू संजीवनी का कार्य करता | इसका सेवन नियमित करना चाहिए | इसके लिए निम्बू की शिकंजी (बिना नमक की) पिए व निम्बू के रस को चूसें |