तंत्रिका तंत्र की कमजोरी का घरेलु उपचार

बनारसी आँवले का मुरब्बा एक नग अथवा नीचे लिखी विधि से बनाया गया बारह ग्राम (बच्चों के लिए आधी मात्रा) लें | प्रातः खाली पेट खूब चबा- चबाकर खाने और उसके एक घंटे बाद तक कुछ भी न लेने से मस्तिष्क के ज्ञान तन्तुओं को बल मिलता है और स्नायु संस्थान(Nervous System) शक्तिशाली बनता है |

विशेष – गर्मी के मौसम में इनका सेवन अधिक लाभकारी है | इस मुरब्बे को यदि चाँदी के वर्क में लपेटकर खाया जाये तो दाह, कमजोरी तथा चक्कर आने की शिकायत दूर होती है | वैसे भी आँवला का मुरब्बा शीतल और तर होता है और नेत्रों के लिए हितकारी, रक्तशोधक, दाहशामक तथा हृदय, मस्तिष्क, यकृत, आंते, आमाशय को शक्ति प्रदान करने वाला होता है | इसके सेवन से स्मरणशक्ति तेज होती है | मानसिक एकाग्रता बढ़ती है

मानसिक दुर्बलता के कारण चक्कर आने की शिकायत दूर होती है | सवेरे उठते ही सिर दर्द का इलाज चालू हो जाता है और चक्कर भी आते हो तो भी इससे लाभ होता है | आज कल शुद्ध चाँदी के वर्क आसानी से नहीं मिलते अतः नकली चाँदी के वर्क का इस्तेमाल न करना ही अच्छा है | चाय – बिस्कुट की जगह इसका नाश्ता लेने से न केवल पेट ही साफ रहेगा | बल्कि शारीरिक शक्ति, स्फूर्ति एवं कान्ति में भी वृद्धि होगी | निम्न विधि से निर्मित आँवला मुरब्बा यदि गर्भवती स्री सेवन करें तो स्वयं भी स्वस्थ रहेगी और उसकी संतान भी स्वस्थ होगी | आँवले के मुरब्बे के सेवन से रंग भी निखरता है |

निषेध – मधुमेह के रोगी इसे न लें |

आँवला का मुरब्बा बनाने की सर्वोत्तम विधि – ग्राम स्वच्छ हरे आँवला कदूकस करके उनका गुदा किसी काँच के बर्तन में डाल दें और गुठली निकल कर फेंक दें | अब इस गूदे पर इतना शहद डालें कि गुदा शहद में तर हो जाये | तत्पश्चात उस काँच के पात्र को ढ़क्कन से ढक कर उसे दस दिन तक रोजाना चार-पाँच घंटे धुप में रखे | इस प्रकार प्राकर्तिक तरीके से मुरब्बा बन जायेगा | बस, दो दिन बाद इसे खाने के काम में लाया जा सकता है | इस विधि से तैयार किया गया मुरब्बा स्वास्थ्य कि दृष्टि से श्रेष्ट है क्यूंकि आग कि बजाये सूर्ये कि किरणों द्वारा निर्मित होने के कारण इसके गुण- धर्म नष्ट नहीं होते और शहद में रखने से इसकी शक्ति बुहत बढ़ जाती है |

सेवन विधि – प्रतिदिन प्रातः खली पेट ग्राम (दो चम्मच भर) मुरब्बा लगातार तीन-चार सप्ताह तक नाश्ते के रुप में लें, विशेषकर गर्मियों में | चाहें तो इसके लेने के पंद्रह मिनट बाद गुनगुना दूध भी पिया जा सकता है | चेत्र माह में इसका सेवन करना विशेष लाभदायी है |

ऐसा मुरब्बा विद्यार्थोयों और दिमागी काम करने वालों की मस्तिष्क की शक्ति और कार्यक्षमता बढ़ाने और चिड़चिड़ापन दूर करने के लिया अमृत तुल्य है | इसमें विटामिन ‘सी’, ‘ए’, कैल्शियम, लोहा का अनूठा संगम है |

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